नासमझ

चाहे मान खुदा तू खुद को मगर ,
 तू औरों को इंसान समझ ।  
 जो पूजें तुझे शामों सहर, 
 उन भक्तों का तू मान समझ। 
 तू माना है दीया लड़े अंधेरों से,
 पर बाती की औकात समझ ।  
 कोई मांग रहा गर दर पे तेरे, 
 तुझे माना है धनवान समझ। 
 माना है बहुत तू ताकतवर ,
 तेरी ताकत वो है नादान समझ ।  
 नहीं अकड़ शोभती है तुझपर, 
 हैं भक्त तो है भगवान समझ ।  
 पुण्यों का फल तूने पा ही लिया ,
 इन पापों का तू भार समझ। 
 हर तरफ है हाहाकार अभी,
 इसे आहों का तूफ़ान समझ। 
 तू आसमान है मैं जर्रा हूँ  ,
 इसे जर्रे की ललकार समझ।

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