वो खालीपन है शून्य सा प्यार है अनन्य सा साह्स वो अदम्य सा और रूप वो सुरम्य सा आदि भी है और अंत भी और प्रश्न अनंत भी आकाश भीतर आकाश बाहर भी प्यार भीतर प्यार बाहर भी वो ही हर तरफ छिपा हुआ और हो रहा उजागर भी। क्या कहूं कुछ तो है वो कमजोरी भी है और ताकत भी