दुनिया क्या खूब नजरअंदाज करती है तू मतलब निकल जाए तो कहाँ बात करती है तू याद नहीं तुझे मेरा पहले का किया और कहती है आज भी करूँ ? क्या बात करती है तू !! मैं तो समझती थी समझदार तुझे पर कालिदास है तू अपनी ही शाख पे वार करती है तू मैं तो मीठा ही बोलूं शर्त है तेरी कठोर व्यवहार से बारबार घाव देती है तू मेरा दिल मोम था पत्थर का हुआ सबकुछ बदल रहा है कम्बख्त नहीं बदलती तो सिर्फ तू कम्बख्त नहीं बदलती तो सिर्फ तू
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