कैसी ख़ामोशी है ये जो फैली है चारों तरफ मौत की क्यों बारहा आहट है चारों तरफ अपनों की अपनों से बढ़ रही हैं दूरियां डर फैला रहा है बाहें हाय क्यों चारों तरफ किस तरह खुद को बचाएँ गूँज है चारों तरफ हवाएं भी हो गयी ज़हरीली चारों तरफ सिर्फ खोने पाने का हिसाब है चारों तरफ कौन है जो बांटता है दर्द यूँ चारों तरफ कुछ तो साज़िश है कि हर शय यूँ बिखर रही धर्म जातपात भ्रष्टाचार और बीमारियां बेरोज़गारी गरीबी और ढ़ेर सी दुश्वारियां है तो बस है भावनाओं का ज़्वार है चारों तरफ
Month: March 2021
सज़दा
जो तेरी आवाज़ को आज अनसुना कर देंगे हो सकता है तेरे वज़ूद को भी फ़ना कर देंगे वक़्त आएगा सुनेंगे तेरी ख़ामोशी भी यकीनन तेरी अना को भी सज़दा कर देंगे
हक़
वो तुझसे प्यार और वफ़ा की उम्मीद रखते हैं जो तेरे ज़ख्मों छालों पर नमक छिड़कते हैं अपने हक़ का कितना ध्यान है उन्हें जो तेरे हकों को नज़रअंदाज़ करते हैं
ख्वाहिश
कभी किसी की बद्दुआ दुआ बन जाती है दी हुई सज़ा ज़िन्दगी का मज़ा बन जाती है खुद को सँवारो सही बने रहो तुम दिल की हर ख्वाहिश कभी न कभी पूरी हो जाती है
प्यार के रंग
इंद्रधनुष के रंग भरें जीवन में सबके उमंग हर्षोउल्लास से भरा रहे जीवन का हर क्षण मनभावन हो संग प्यार हो छलका छलका प्यार के रंग से रंग जाए आपका यूँ तन मन
और मैंने कलम उठा ली
जब कह न सकी कोई बात न समझा कोई ज़ज्बात कोई नहीं था साथ जब जिंदगी में थी रात तो मैंने कलम उठा ली दिखा रोता हुआ कोई या हारा हुआ कोई दिल का मारा हुआ कोई न लड़ पा रहा कोई कहने को दर्द सबका लो मैंने कलम उठा ली उपेक्षा से भरा जो मन बढ़ने लगी जब ये घुटन टूटे दिल की थी चुभन नहीं लगता था कहीं भी मन झट मैंने कलम उठा ली आत्मस्वाभिमान पर हुई चोट दिखा सबको मुझ में ही खोट मज़बूरी ने सिले थे होंठ हुए अपने थे जब पराये बैठी थी खुद को बिसराये बड़ी हिम्मत से मैंने कलम उठा ली विचारों का तूफ़ान खुद की पहचान अपनों का मान स्त्रियों का सम्मान समाज का उत्थान इतना कुछ और मैंने कलम उठा ली
बहीखाता
रात को सोने से पहले दिल का बहीखाता खोलो माफ़ कर दो सबको और सब से माफ़ी ले लो
धन्यवाद श्रृंखला ::3
हे परमात्मा ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद है !आप हर पल हर क्षण हमारे साथ हैं। इसलिए आज का दिन हमारी जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ दिन है प्यार ,आदर, सम्मान ,प्रशंसा जैकपॉटऔरअच्छे समाचारों से भरा हुआ। हे प्रभु ,हमारे भीतर असीम शक्ति है असीम शांति है ,असीम शांति है,असीम शांति है।हमारे पास प्रचुर मात्रा में धन है जिसका हम सदुपयोग करते हैं। हमारे संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति ,वस्तु,परिस्थिति ,वातावरण ,जगह, मौसम ,यातायात ,वास्तु ,जन्मकुंडली, प्रकृति,ये ब्रह्माण्ड, पूरी कायनात, हमारे अनुकूल है !हमारे अनुकूल है!हमारे अनुकूल है !हम कृपावान हैं! हम भाग्यवान हैं! हम पर नारायण की असीम कृपा है!आपके आर्शीवाद से मेरा घर सुख शांति समृद्धि से भरा हुआ है और पूरी तरह सुरक्षित है। मैं जीवन के हर क्षेत्र में सफल हूँ। मैं वाणी विचार व्यवहार से सकारात्मक हूँ !मेरी लाज़ बचाने के लिए, मेरी बिगड़ी बनाने के लिए,मुझे हमेशा स्वस्थ रखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! मैं सप्त सितारा जीवन जी रही हूँ जैकपॉट और अच्छे समाचारों से भरा हुआ !!आभार !आभार! आभार!
मगरूर
तू है मगरूर सही मैं नहीं हूर सही तेरे मेरे बीच में पर कुछ तो है ज़रूर सही ज़ुदा है ज़मीन अपनी सब को नामंज़ूर यही चढ़ रहा फिर भी मगर प्यार का सरूर सही मिल रही राहें अगर मिली हैं निगाहें अगर लब मुस्काएं अगर हो जाए साथ सही
माफ़ी
जितनी जल्दी भगवान से माफ़ी चाहता है तू उतनी जल्दी माफ़ी दे कर हो जा शांत तू आत्मा के है करीब गर तू खुश और शांत है दुखी है तो है करीब अहंकार के तू