लबों पे मुस्कराहट का यकीं मत कर यार ये दर्देदिल की मुहर खामोशियों का दरिया है ये मुस्कान तो जिंदादिली बहादुरी है ये टूटे हुए दिल का गरूर से रहने का एक ज़रिया है मुगालते में कोई है तो रहने दीजिये साहेब अश्क़ बहाने से तो लाख दर्जे बढ़िया है कोई हमे चाहे न चाहे हम तो चाहते हैं उसे ये हमारी सोच हमारा अपना नज़रिया है