नटखट प्यारा राजदुलारा नन्हे नन्हे पाँवों से जब आता है पास मेरे मन खुशियों से भर जाता है मुस्काये वो देख मुझे जब दिल बाग़ बाग़ हो जाता है उठें हिलोरें मन में जब वो अपने आप इठलाता है कभी है गिरता कभी संभलता ठुमक ठुमक वो ऐसे चलता मन वीणा के तार छेड़कर खूब खूब इतराता है झूठ मूठ का गुस्सा करता झूठ मूठमें वो है हँसता कभी किसी की नज़र लगे न मन ये डर डर जाता है तू है मेरी आँख का तारा तुझ से मेरा जग उजियारा आजा तुझको गोद में ले लूँ मन तो बस ये ही चाहता है नटखट प्यारा राजदुलारा