इंसान है वो प्यार और ज़ज्बात से भरी हुई सिर्फ जिस्म समझ के नासमझ न यूँ उसका तू अपमान कर प्यार और विश्वास से वो महकती खूब है बेरुखी बेकद्री से ना उसको तू परेशान कर
इंसान है वो प्यार और ज़ज्बात से भरी हुई सिर्फ जिस्म समझ के नासमझ न यूँ उसका तू अपमान कर प्यार और विश्वास से वो महकती खूब है बेरुखी बेकद्री से ना उसको तू परेशान कर