पत्थर भी फूल हो जाएँ चोट चोट न रहे ज़हर बन जाए अमृत बस आनंद ही आनंद बना रहे ये स्थिति पा सकेगा सिर्फ एक तरह से दोस्त अपेक्षाओं को छोड़ कर निरपेक्ष तू बना रहे
पत्थर भी फूल हो जाएँ चोट चोट न रहे ज़हर बन जाए अमृत बस आनंद ही आनंद बना रहे ये स्थिति पा सकेगा सिर्फ एक तरह से दोस्त अपेक्षाओं को छोड़ कर निरपेक्ष तू बना रहे