वो तुझसे प्यार और वफ़ा की उम्मीद रखते हैं जो तेरे ज़ख्मों छालों पर नमक छिड़कते हैं अपने हक़ का कितना ध्यान है उन्हें जो तेरे हकों को नज़रअंदाज़ करते हैं
वो तुझसे प्यार और वफ़ा की उम्मीद रखते हैं जो तेरे ज़ख्मों छालों पर नमक छिड़कते हैं अपने हक़ का कितना ध्यान है उन्हें जो तेरे हकों को नज़रअंदाज़ करते हैं