मेरी चाहत

जीवन के सघर्षों से कोई भीतर से 
टूटना नहीं चाहिए 
जल के बिना कोई फसल
सूखना नहीं चाहिए
स्वार्थ में रिश्ता 
डूबना नहीं चाहिए   
ख़ुशी का एक छोटा सा पल भी 
छूटना नहीं चाहिए 
कड़वे बोलों से मन आहत
नहीं होना चाहिए
शरीर बीमारियों का घर
नहीं होना चाहिए
हर पल प्रकृति का अहसान 
मानना चाहिए
सबके लिए स्वस्थ घर समाज और
देश होना चाहिए
चाहिए प्यार और विश्वास तो
इसे खूब बाँटना चाहिए 

रहनुमा

हमारे रहनुमाओं ने बोला
मास्क मुँह पर लगाने को
खुद लगा लिया आँखों पे
सब कुछ ठीक बताते हैं
उन्होंने कब किया वादा
तुम्हारी मदद करने का ?
उन्होंने कब कहा समाज को 
शिक्षित करेंगे वो ?
उन्होंने कब कहा गरीबी 
बेरोज़गारी मिटायेंगे?
जुलूसों रैलियों में भीड़ 
वो फिर कहाँ से लाएंगे??
हैं अच्छे दिन और तुम्हारी 
शिकायतें ख़त्म नहीं होती!
दवाई ऑक्सीजन तक के लिए 
आत्मनिर्भर बनाएंगे 

गुनहगार

मेरे देशवासियों के दर्द, आंसुओं, 
आहों और चीखों की गूँज,
गुनहगारों की सज़ा बन जाए ! 
उनकी जिंदगी उनके लिए सज़ा बन जाए !
जिन्हे फर्क नहीं पड़ता दूसरों के जीने मरने से ,
ए खुदा! उनसे उनकी ताकत  छिन जाए !!

क्या करूँ?

दर्द सबका मेरे दिल तक आ रहा है, क्या करूँ ?
मज़बूरी हर तरफ है!बेचैन हूँ मैं क्या करूँ?
 सोचा नहीं था,वही सब हो रहा है आजकल!
मुझसे ज़्यादा दर्द में दिख रहे सब ,क्या करूँ ?
दिल की पुकार भगवान तक पहुंचे मेरी!
दुआएं ही कर सकती हूँ मैं बस! क्या करूँ ?
जहाँ देखो जिधर देखो दर्द की है दास्ताँ 
क्या क्या कैसे और कब?बयान करूँ या ना करूँ ?
ए रब!तेरे सज़दे में झुका है सर !घुटनों पर हूँ मैं,क्या करूँ ?
सब की झोली अमन खुशियों से भर दे तू 
दिन रात यही ज़ज़्बात,ना भूल पाऊं क्या करूँ?
भूल हमारी भी होंगी बहुत,माफ़ कर दो ना प्रभु !  
सारी ताकत है तेरे हाथ ,क्या करूं?

ज़रूरी

 राज करने के लिए प्रजा होनी ज़रूरी है 
वोट लेने के लिए जनता होनी ज़रूरी है
खूब रैलियां जुलूस निकाल चुके हैं रहनुमा  
बीमारी फैलने के बाद इलाज़ भी ज़रूरी है 

किसी भी पार्टी ,धर्म ,जाति,समुदाय से हों हम
सबसे पहले समझदार होना ज़रूरी है 
कैसा वक़्त देख रहें हैं आजकल
इलाज के लिए भी आत्म निर्भर होना ज़रूरी है ?

ये महामारी!

ये महामारी!
प्रकृति की देन?
या इंसानी साज़िश?
इंसानी कमज़ोरियों का भी 
उल्लेख होना चाहिए
कितने पूंजीपति व्यापारी और राजनीतिज्ञ शामिल है इसमें  
पता होना चाहिए 
इंसानी वेश में कितने लालची दम्भी भेड़िये शामिल है 
हमे पता होना चाहिए 
इंसान ने छोड़ी इंसानियत 
उसकी भी बात होनी चाहिए 
ऑक्सीजन ,दवाई और प्रशासन व्यवस्था 
की भी बात होनी चाहिए 
अपने हालात के लिए अपनी ज़िम्मेदारी भी 
 तय होनी चाहिए
दिखाया बताया समझाया जा रहा है जो हमे 
उसकी भी पूरी तफ्तीश होनी चाहिए
जो हमने चुने सरपरस्त 
उनकी कुछ तो जवाबदारी होनी चाहिए 
जो मगरूर है अपनी हस्ती और मस्ती में 
उन्हें आइना ज़रूर दिखाना चाहिए 
हम उलझे रहे गैर ज़रूरी बातों में
हमे अपनी परवाह होनी चाहिए
कभी धार्मिक आस्था,, कभी खेलकूद , कभी चुनाव 
पैर खुद कुल्हाड़ी पे नहीं मारना चाहिए 
मौत ही मंज़िल है गर 
तो अब ये डर निकलना चाहिए 
सर पे कफ़न बंधा है गर तो 
गोली सीने पे खानी चाहिए    

धन्यवाद

तू मेरा हमसाया मेरा दोस्त मेरा यार  रहा  
हर उतार चढ़ाव में पग पग तू  मेरे साथ रहा  
दिल का जब दर्द बढ़ा रोई भी हूँ तेरे आगे 
तू  बढ़ाता रहा ताकत हमे संभालता ही रहा 
रोम रोम से दिल की हर धड़कन से हर स्वास से 
मेरे प्रभु! कोटि कोटि धन्यवाद! शुक्रिया! आभार! 
जीवन की नैया को डगमग देखते ही 
पतवार अपने हाथ लेने के लिए 
हे परमात्मा ! कोटि कोटि  धन्यवाद !शुक्रिया !आभार!  

जिंदगी

जिंदगी! तू जब देखो सताती ही रही 
हँसाया कम रुलाती ही रही 
तूने लगातार दबाने की, की कोशिश लेकिन 
मैं दुगने वेग से छलांग ऊँची लगाती ही रही