विधा:- गीत ख़ुशी के गीत गाती हूँ मैं खूब मुस्कुराती हूँ मैं क्या पाया मैंने देखकर कहकहे लगाती हूँ मै। ख़ुशी के गीत गाती हूँ मैं ... गम की रात ढलती ही है जमी बर्फ पिघलती ही है जो आज है वही सत्य है सिर्फ ये ही मानती हूँ मैं। ख़ुशी के गीत गाती हूँ मैं ... अब नहीं है आँख नम दिल में नहीं कोई ग़म चाहतें जो कम हुईं दुआएं ही पाती हूँ मैं। ख़ुशी के गीत गाती हूँ मैं ... दिल झूम झूम गा रहा मन मचल मचल जा रहा कोई कह रहा है कानों में सबको लुभा रही हूँ मैं। ख़ुशी के गीत गाती हूँ मैं ... ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️