वो कैसे मुस्काएं जिन पर लागू सौ सौ पहरे हैं न वो हैं मुस्काएं ज़ख्म भी जिनके गहरे हैं मुस्काने हैं कई तरह की दुनिया के बाजार में गहरी है मुस्कान उन्हीं की जिनके दर्द भी गहरे हैं
वो कैसे मुस्काएं जिन पर लागू सौ सौ पहरे हैं न वो हैं मुस्काएं ज़ख्म भी जिनके गहरे हैं मुस्काने हैं कई तरह की दुनिया के बाजार में गहरी है मुस्कान उन्हीं की जिनके दर्द भी गहरे हैं