जो अश्क़ पीता है मुस्कुराता है वो ग़ज़ल लिखे तो नूर आता है ज़माने का हो जो सताया हुआ दर्द ही दर्द हो गर समाया हुआ जो गम के नशे में चूर रहता है वो ग़ज़ल लिखे तो नूर आता है जो अपने अनुभव से सिखा सके जीना जिसने ख़्वाबों के लिए बहाया हो पसीना जो समझे सबके ज़ज़्बात वो ग़ज़ल लिखे तो नूर आता है वर्ना सिर्फ शब्दों का ही ज़ोर नज़र आता है जो अश्क़ पीता है मुस्कुराता है वो ग़ज़ल लिखे तो नूर आता है
Bahut umda! 👌
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thank you!!!!
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