"उसे वेदों से क्या लेना जो 'ब्रह्म' 'को 'तत्व 'से जाने रहे सुख दुःख में सम हरदम राग भय क्रोध ना जाने वो है स्थिर आत्मा जो निर्लिप्त भाव से करे हर कर्म अंतर्मन की प्रसन्नता पा ली हो जिसने "
"उसे वेदों से क्या लेना जो 'ब्रह्म' 'को 'तत्व 'से जाने रहे सुख दुःख में सम हरदम राग भय क्रोध ना जाने वो है स्थिर आत्मा जो निर्लिप्त भाव से करे हर कर्म अंतर्मन की प्रसन्नता पा ली हो जिसने "