सब को एक तराजू में ना तोल यूँ ही, कुछ भी ,कैसा भी ,ना बोल कौन जानता है किसी के हाल , हालात थे क्या? अंतर्मन की कड़वाहट को सबके सामने ना खोल
सब को एक तराजू में ना तोल यूँ ही, कुछ भी ,कैसा भी ,ना बोल कौन जानता है किसी के हाल , हालात थे क्या? अंतर्मन की कड़वाहट को सबके सामने ना खोल