दर्द सबका मेरे दिल तक आ रहा है, क्या करूँ ?
मज़बूरी हर तरफ है!बेचैन हूँ मैं क्या करूँ?
सोचा नहीं था,वही सब हो रहा है आजकल!
मुझसे ज़्यादा दर्द में दिख रहे सब ,क्या करूँ ?
दिल की पुकार भगवान तक पहुंचे मेरी!
दुआएं ही कर सकती हूँ मैं बस! क्या करूँ ?
जहाँ देखो जिधर देखो दर्द की है दास्ताँ
क्या क्या कैसे और कब?बयान करूँ या ना करूँ ?
ए रब!तेरे सज़दे में झुका है सर !घुटनों पर हूँ मैं,क्या करूँ ?
सब की झोली अमन खुशियों से भर दे तू
दिन रात यही ज़ज़्बात,ना भूल पाऊं क्या करूँ?
भूल हमारी भी होंगी बहुत,माफ़ कर दो ना प्रभु !
सारी ताकत है तेरे हाथ ,क्या करूं?
Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
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