जीवन के सघर्षों से कोई भीतर से टूटना नहीं चाहिए जल के बिना कोई फसल सूखना नहीं चाहिए स्वार्थ में रिश्ता डूबना नहीं चाहिए ख़ुशी का एक छोटा सा पल भी छूटना नहीं चाहिए कड़वे बोलों से मन आहत नहीं होना चाहिए शरीर बीमारियों का घर नहीं होना चाहिए हर पल प्रकृति का अहसान मानना चाहिए सबके लिए स्वस्थ घर समाज और देश होना चाहिए चाहिए प्यार और विश्वास तो इसे खूब बाँटना चाहिए