ह्रदय उद्धिग्न,नयन नम हैं मुस्कान फीकी फीकी हैं विचारों में दृढ़ता कम है मुश्किलों में हौंसला तो रख ,ए दोस्त! वैसे भी हौंसला है! तो हम हैं ! क्या हुआ गर लोगों में ईमान कम है आँखों में शर्म का पानी कम हैं ठान ले तू जो तुझे है करना तुझे रोक सके! इतना किस में दम है? हमे शिकायत बहुत हैं ज़माने से उसी ज़माने की एक इकाई भी, हम हैं ! अपनी ज़िम्मेदारी तू कर पूरी सब इतनी सी बात नहीं समझते!यही गम है!
काश हम कह पाते कि ग़म कम हैं
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अफ़सोस!आज के इस दौर में यही गम ढेरों को गम दे रहा है
साभार धन्यवाद !प्रभु आपको और आपके अपनों को स्वस्थ एवं सुखी रखें!
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