मन मत कर भारी चली जायेगी महामारी ऊपरवाले की भी तो , कुछ होगी जिम्मेदारी है यही वक़्त तू दिखा तेरी मजबूती है क्या मज़बूरी के परदे में नाकामी ना छिप पाएं सारी छोड़ अब उधेड़बुन कर मन मज़बूत सुन पहले भी तो देखे हैं तूने कईं दुःख भारी जब तू पहले भी था जीता अब क्यों गम का प्याला पीता तेरे सकुशल रहने की तेरे रब की ज़िम्मेदारी तू हर सावधानी ले पर तनाव नहीं ले तनाव लेने से ही तो प्यारे होती हर बिमारी हर तूफान से तू मज़बूत ही बना अपनों के लिए तू कवच है बना अनहोनी ना होने दे तू होनी रोक ना सके हिम्मत से ही जीती जाए बाज़ी इस दुनिया की सारी