"जो मनुष्य करे समस्त कर्तव्य कर्म हो मेरे परायण हो मेरा आसक्तिरहित भक्त हो रागद्वेष से सदा दूर वो मनुष्य प्राप्त करे मुझे यानि परब्रह्म को "
"जो मनुष्य करे समस्त कर्तव्य कर्म हो मेरे परायण हो मेरा आसक्तिरहित भक्त हो रागद्वेष से सदा दूर वो मनुष्य प्राप्त करे मुझे यानि परब्रह्म को "