गुनाह अपने हों या दूसरों के सब रब की निगाह में हैं हमारा हर गिला शिकवा अब उसी के दरबार में है लोग अपने गुनाहों को यहाँ गलती बताते हैं और हमारी गलतियां भी गुनाहों की कतार में हैं ये है गलती या है गुनाह सही फैसला कैसे करे कोई इन्साफ तो हमेशा ही ताकतवर के इख्तियार में है