त्रिगुणी माया! त्रिगुणी काया! पल पल खेले खेल! कभी लगे ये दुनियां प्यारी ,कभी लगे बेमेल जब गुण गुणों में बरतते, छोड़ रागद्वेष का खेल माटी का तन मिले माटी में ,कर आत्म परमात्म का मेल
त्रिगुणी माया! त्रिगुणी काया! पल पल खेले खेल! कभी लगे ये दुनियां प्यारी ,कभी लगे बेमेल जब गुण गुणों में बरतते, छोड़ रागद्वेष का खेल माटी का तन मिले माटी में ,कर आत्म परमात्म का मेल