इतने ऊँचे पायदान पर मत बिठाओ उसे कि वो दिल की ना कह सके छोटी छोटी खुशियों की मांग ना रख सके खुल के ना हॅंस सके ना रो सके वो भी तो सामान्य औरत है महानता के खिलौने से मत बहलाओ उसे माँ सिर्फ प्यार ही क्यों करे कमियाँ सुधारने का भी अधिकार हो उसे हाँ वो गलत भी हो सकती है,एक नहीं कईं बार! माफ़ी उससे लेना ही नहीं ,देना भी सीखो उसे बिनशर्त प्यार मिला हमेशा तुम्हें तन मन धन लुटाया हमेशा उसने तुमको समझा अपनी दुनिया उसने अपनी दुनिया के अधिकार, मत समझाओ उसे हाँ ये दुनिया का रिवाज़ है ऐसा ही होता है वो समझ जायेगी धीरे धीरे बस तुम मत समझाओ उसे
Beautiful post! 😊👌
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thanks!:)
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