विधा - कविता शीर्षक - अधूरापन अधूरी ख़्वाहिशें अधूरी जुस्तुजू अधूरा तन अधूरा मन अधूरा दिल अधूरे जज़्बात अधूरे दिन अधूरी रात अधूरे फ़र्ज़ अधूरे अधिकार अधूरा विश्वास अधूरा प्यार अधूरी कहानी अधूरी ज़िंदगानी अधूरी बातें अधूरा हर काम उफ़ !ये जीवन जैसे अल्पविराम ! अधूरापन कैसे होगा पूर्ण ? क्या जब मिलेगी मृत्यु *सम्पूर्ण* ? मृत्यु कामनाओं की, क्रोध की मृत्यु लोभ की, मोह की मृत्यु मद की,अहंकार की अधूरापन जीवन का नहीं सार शायद *सम्पूर्ण* मृत्यु दे उसको पूर्ण आधार ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️