नशे में चूर दीवाना है तू ! सब कुछ तेरी सहूलियत से नहीं हो पायेगा तू जब चाहे आएगा जब चाहे जाएगा प्यार तू जब करना चाहे जिससे करना चाहे सब ठीक दूसरे के प्यार का कोई जवाब नहीं आएगा प्यार और समझौतों का हाथ ठुकरा दिया कई बार तू क्या समझा चाहा हुआ तेरा हर बार हो जाएगा खुशकिस्मत है कि तुझे प्यार करें बहुत लोग वरना तेरे गुनाह कौन भूल पायेगा नशे के नाम किया ज़िन्दगी का बड़ा हिस्सा क्या अपनों को हमेशा यूँ ही तड़पाएगा पत्नी और बच्चे याद करते हैं तुझे बच्चे बड़े हुए तो वो प्यार नहीं पायेगा हाथ पैर थक जाते हैं एक दिन ,अभी अहसास नहीं तुझे बाद में उन्हें ताने सुनाएगा, प्यार चाहेगा दीवाने स्वार्थ में मत डूब गले तक समय बदला तो खुद को भी पहचान नहीं पायेगा सभी बेवक़ूफ़ लगते हैं तुझे अभी पैसे के अलावा क्या कोई भाषा तू समझ पायेगा ख़ुशी गम दोनों में पीने वाले गम क्या पीने से ख़त्म हो जाएगा नशे से निकल वास्तविकता की धरती पे आ वक़्त निकला तो बस पछतावा ही रह जाएगा