पैसा ज़रूरी है, पता था
इतना ज़्यादा ज़रूरी है !नहीं पता था
प्यार ज़रूरी है ,पता था
इतना भी ज़रूरी नहीं, नहीं पता था
विश्वास ज़रूरी है ,पता था
विश्वास घात हो सकता है! नहीं पता था
अपने ज़रूरी हैं, पता था
पराये भी उतने ही ज़रूरी हैं ,नहीं पता था
खुशियां, ठहाके, कहकहे ज़रूरी हैं, पता था
मिलेंगे कैसे ?,नहीं पता था
मंज़िल तक पहुंचना है, पता था
राह में ही खुशियां खड़ी थी! नहीं पता था
आप सबसे वफ़ा करो ,पता था
सब आपसे वफ़ा नहीं करेंगे ,नहीं पता था
मतलब से जुड़ी हुई है दुनिया, पता था
मतलब निकलते ही भुला देगी, नहीं पता था
अच्छाई का जवाब अच्छाई से देना चाहिए ,पता था
बुराई का जवाब भी अच्छाई से देना चाहिए, नहीं पता था
मौसम बदलेंगे आएगी सर्दी ,गर्मी ,बरसात, पता था
कभी कभी सर्दी में भी गर्मी, गर्मी में सर्दी का होगा अहसास
आंसुओं की भी कभी कभी होगी बरसात ,नहीं पता था
धड़कता हुआ दिल सभी के पास होता है, पता था
आप के लिए धड़केगा या नहीं ,नहीं पता था
दुःख ,गम ,उदासी नहीं चाहिए, पता था
ये ही सबसे ज़्यादा सिखाएगी, बनाएगी मज़बूत! नहीं पता था
माँ बाप सबके जाते हैं ,दर्द होता है , पता था
पर दिल का मर जाता है एक कोना ,नहीं पता था
मुझे सब कुछ नहीं पता ये ,पता था
इतना सारा नहीं पता ! नहीं पता था!!
Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
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Bahut khoob! Khaaskar aakhiri ki do lines! 👌
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जैसे मन निकल कर रख दिया है
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दिल से शुक्रिया !
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