लोगों को तब फ़र्क पड़ना शुरू हो जाता है जब आपको फ़र्क पड़ना बंद हो जाता है ज़िन्दगी रचती रहती है फिर खेल कई फ़र्क नहीं पड़ता जब इंसान खुद में ही रम जाता है
लोगों को तब फ़र्क पड़ना शुरू हो जाता है जब आपको फ़र्क पड़ना बंद हो जाता है ज़िन्दगी रचती रहती है फिर खेल कई फ़र्क नहीं पड़ता जब इंसान खुद में ही रम जाता है