टूट कर टूटी नहीं रूठ कर रूठी नहीं मिट कर भी मिटी नहीं रीत कर भी रीति नहीं जाने किस मिट्टी से बनी है तू फीनिक्स पक्षी सी लगे है तू पर आइना देखूँ तो तू आज भी 'मासूम 'लगती है
टूट कर टूटी नहीं रूठ कर रूठी नहीं मिट कर भी मिटी नहीं रीत कर भी रीति नहीं जाने किस मिट्टी से बनी है तू फीनिक्स पक्षी सी लगे है तू पर आइना देखूँ तो तू आज भी 'मासूम 'लगती है