मन गज़ब तेरा रूप रंग एक दिखे मगर हैं कईं खंड और इन खण्डों के मालिक अलग आईने में हम दिखे हर बार अलग ना जाने कब किस मालिक के अधिकार में हैं हम मालिक अच्छा तो अच्छे , बुरा तो बुरे हम है वही हमारा चेहरा जो है मन का चेहरा जिसने हमें उस वक़्त है घेरा अच्छा या बुरा मालिक तो मालिक है दोनों को हटाना होगा हमे अपने रूप में आने के लिए खुद को जगाना होगा