आईने तू इतना सख्त क्यों है ? आईने तू इतना कम्बख्त क्यों है ? क्यों दिखानी है तुझे क्रूर सच्चाई क्या किसी का दिल रखना नहीं आता है? जैसा दिखता है! तू दिखाता है यहाँ तक तो ठीक,सह लिया हमने क्यों दिल का हाल तू बताता है? तुझ पर धूल, तो भी मैले हम! ये सियासत तुझे कौन सिखाता है तू तो शायरी में अच्छा मक़ाम रखता है फिर क्यों दूसरों को नीचा दिखाता है हम करे गिला शिकवा तुझे कोई फर्क नहीं चिकने घड़े सा हरवक्त तू सताता है आईने सा किरदार तेरा है ,तो याद रख तू भी ! ज़रा सी ठेस से वो चूर चूर हो जाता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अति सुंदर अभिव्यक्ति👌👌
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तहेदिल से शुक्रिया !
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति /
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