कुछ ज्ञानी समझते हैं कर्मों के त्याग को संन्यास कुछ ज्ञानी समझते हैं सब कर्मों के फल के त्याग को त्याग कुछ कहे, हैं सारे कर्म दोषयुक्त ,सो त्याज्य हैं कुछ कहे ,यज्ञ दान तपरूप कर्म त्याज्य नहीं यज्ञ दान तपरूप कर्म त्याज्य नहीं हमारे जरुरी कर्तव्य हैं इन्हे और दूसरे सभी कर्तव्य कर्मों को आसक्ति और फलों का त्याग करके जरूर करना चाहिए ये बुद्धिमानों को पवित्र करते हैं मेरा ये उत्तम मत है