गुम कर दिया खुद को मैंने इस तरह राहे ज़िन्दगी में कि आवाज़ दे रही हूँ मैं खुद को बेचैन होकर ....... सबके लिए करना कुछ भी बुरा नहीं हैं लेकिन खुद को भुला के करना नहीं रहा है हितकर...... किस को पड़ी है जो मेरे लिए भी सोचे मैं करती गयी सबकुछ अपना अस्तित्व खोकर...... जब भी बिसारो खुद को तब तुम ये सोच लेना ये प्यारा ज़माना ही मारेगा तुम को ठोकर .......... जब प्यार करो सबको तब प्यार करो खुद को परवाह करना अपनी, फिर सबकी ! नहीं तो जीना पड़ेगा तुमको रो रोकर ......
भावनाओं का सुंदर लेखन 😊
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