भावनाओं का ज्वार ज्यादा होगा जब जब कविताओं और कहानियों का सृजन होगा तब तब कभी दर्द की लहरें होंगी कभी प्रेम के गीत कभी हवाओं में गूंजेगा मधुर मधुर संगीत कभी आंसुओं में डूबा होगा हर एक शब्द जीवन का अनुभव होगा हर शब्द में अभिव्यक्त कभी शब्द होंगे विरक्त कभी नाचेंगे मस्त कभी करेंगे नव निर्माण कभी कुप्रथाओं को ध्वस्त ब्रह्मरूप ये शब्द करेंगे नित नया सृजन मनमयूर जब झूम झूम के करेगा नर्तन मौन और तन्हाई से उपजेँगे जो शब्द वो मानव को नयी ऊंचाई देने में होंगे समर्थ नवरस का आनंद ह्रदय में आता अगाध आत्माभिव्यक्ति बहुत ज़रूरी होती है निर्बाध कविताओं और कहानियों का गर सही हुआ चुनाव जीवन होगा प्रशस्त भवपार होगी ये नाव ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
भवपार होगी ये नाव.. वाह क्या बात कही आपने
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जी बहुत बहुत आभार आपका !
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बहुत सुंदर 👌🏼👌🏼
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ह्रदय से धन्यवाद !
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