आँसू





ये आँसू बोलते हैं , राज़ कुछ खोलते हैं
कभी आँखों में रहते,  मगर बहते नहीं हैं   
ये दिल दुखा बहुत है, पर जताते नहीं है 
   ये आँसू  बोलते हैं, राज कुछ खोलते हैं ....
कभी बहते ही जाते और लब मुस्कुराते
दिल खुश बहुत है ,   ये बताते नहीं हैं 
कभी ये बहते जाएँ, ना लब मुस्कुराएं 
हों आँखें लबालब,  वीरानी ना जाए
   ये आँसू बोलते हैं, राज कुछ खोलते हैं....
दिल बहुत दर्द में है और छुपाते नहीं हैं
पर कभी ऐसा होता ये दिखते भी नही है 
आँखे सूखी हैं रहती, लब खामोश रहते 
रोता दिल जार -जार, ये आँसू खून के हैं
    ये आँसू बोलते हैं, राज कुछ खोलते हैं ....
               ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

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