भावनाशून्य संवेदनहीन मनुष्य के साथ रहना धीमा ज़हर है। ये सशरीर होकर भी चलती फिरती लाशें हैं, यूँ समझिये खामोश कहर हैं।।
by Seema Kaushik
भावनाशून्य संवेदनहीन मनुष्य के साथ रहना धीमा ज़हर है। ये सशरीर होकर भी चलती फिरती लाशें हैं, यूँ समझिये खामोश कहर हैं।।
सही कहा है 👌🏼👌🏼
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thanks so much !
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आपकी सराहना का ह्रदय से धन्यवाद !
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बहुत सुंदर
सत्य वचन
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दिल से शुक्रिया !
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🌺🌷🥀🌹💐🍫☺️
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