ये गुस्सा और मतभेद हो बारिश जैसा जो गरजे बरसे और बस हो ख़त्म प्यार हो हवा की तरह खामोश आसपास जो सुनाये कानों में मीठी नज़्म ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
ये गुस्सा और मतभेद हो बारिश जैसा जो गरजे बरसे और बस हो ख़त्म प्यार हो हवा की तरह खामोश आसपास जो सुनाये कानों में मीठी नज़्म ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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