ज़्यादातर औरत हैं शोषित और अपमानित फिर भी स्वयं पर कितनी हैं वो गर्वित ! क्यूंकि उन्हें बनना है त्यागी, बलिदानी और महान क्यूंकि उन्हें समाज में होना है ,बन 'देवी' प्रतिष्ठित यही प्रशिक्षण तो वो बचपन से हैं पाती अपने अधिकारों को ख़ुशी से त्याग पाती ये कैसी विडंबना !एक औरत माने ज़रूरी "औरत पर अंकुश पुरुष का" !ये कैसी मज़बूती?
सुंदर रचना
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आपकी सराहना का ह्रदय से धन्यवाद !
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🌻🤠💐🍫🌹😃
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