ज़िन्दगी के साज़ पर ,बन तू धड़कनों की धुन
छा मेरे वज़ूद पर !जैसे धरा पे ये गगन
मस्त हवाओं सा मेरे, जीवन में लहलहाए जा
झूम झूम गाये जा ,कह रही दिल की लगन
ज़िन्दगी के साज़ पर .........
दिल की हर आवाज़ पर ,मेरी हर एक याद पर
ऱम जा सांसों में मेरी ,आ जाए रूह को सुकून
बारिश की बूँदें ज्यों गिरे ,सेहरा की तपती रेत पर
वैसे ही चैन आये दिल में, सो सकूँ मैं पुरसुकून
ज़िन्दगी के साज़ पर.........
धीमे धीमे सुलग रही ,दिल में प्रेम की अगन
पथ निहारते हैं देखो ,अश्रुपूरित नयन
काश ऐसा हो !ना प्यास हो ,ना हो ये इंतज़ार
हर तरफ चमन में हो, दूर दूर तक सुमन सुमन
ज़िन्दगी के साज़ पर..........
सब कुछ है मेरे पास तो, क्यों है ये दिल की चुभन
हार ना मानूंगी मैं !करती रहूंगी हर जतन
जो है तू मेरे पास ही ,मेरे साथ ही हर स्वास में
तो क्यों ना आया अब तलक ,रूह को चैनो-अमन
ज़िन्दगी के साज़ पर .........
Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
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Beautiful verses, and perfect rhyming👌👌
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thanks a lot kk !
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Masti or umang se bhari rachna
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thanks for such lovely words !
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