हम सब की खुशियां एक दूसरे की मुट्ठी में हैं बदकिस्मती ये कि कोई खोलना नहीं चाहता सम्पूर्णता सबके भीतर देखना चाहता है हर कोई पर क्या करें कोई आइना देखना नहीं चाहता आओ खोल ले मुट्ठी और देखें आइना भी हम यूँ ही मुस्कुराने में किसी का कुछ नहीं जाता
हम सब की खुशियां एक दूसरे की मुट्ठी में हैं बदकिस्मती ये कि कोई खोलना नहीं चाहता सम्पूर्णता सबके भीतर देखना चाहता है हर कोई पर क्या करें कोई आइना देखना नहीं चाहता आओ खोल ले मुट्ठी और देखें आइना भी हम यूँ ही मुस्कुराने में किसी का कुछ नहीं जाता