किसी अपने से बात जब बिगड़ जाए लाखों कोशिशों से भी ना बन पाए साथ छोड़ना निभाना दोनों ही मुश्किल हों सफाई से जोड़ो तो भी गाँठ पड़ ही जाए रख दो दिल खोल कर अपना तब मान लो गलती सारी अपनी तब उसकी गलतियां मत गिनाओ उसे उसकी गलतियां गिनेगा रब चल दो दूर जहाँ न हों उसकी यादों के साये कोई ज़रूर होगा जो तुम्हे चाहे सराहे निभाए ये दुनियां इतनी छोटी और कम भी नहीं जो तेरे स्वाभिमान को पंख ना लगा पाए
बेहतरीन लिखा 👌🏼👌🏼
LikeLike
thanks a lot !
LikeLike