समझाया हज़ार बार कभी चुप भी रहा कर मन मेरे तू इतना शोर न किया कर जीवन में तो सुख दुःख लगा ही रहता है हर बात पर जिया भारी न तू किया कर कभी समस्याएं जीवन में आएँगी समाज की चिंताएँ तुझे सताएंगी कभी राजनीति का शिकार होगा तू कभी ज़िम्मेदारियाँ तुझे बुलाएंगी मन मेरे समझ ले तू एक बात ध्यान से तेरे शोर से नहीं तेरे ज़ोर से नहीं ये दुनिया चल रही है किसी और डोर से बस प्रभु का साथ तू दृढ़ता से पकड़ खुशियों की होगी बारिश जीवन के हर छोर से तेरी असफलताओं का ज़िम्मेदार स्वयं तू ही है तेरे चयन तेरी प्राथमिकताओं तेरे निर्णयों का असर है अब और आज ही बस रखता मायने इनको निखार ये तेरे हाथ में ही है मन मेरे ना इतना तू बेचैन हुआ कर मन मेरे तू हरदम मुस्कुराया कर मन मेरे कभी तू ध्यान में भी बैठ मन मेरे प्रभु के तू गीत गाया कर
Bahut sundar kavita!!
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thanks a lot !!
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दिल से शुक्रिया !
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यार आप तो खूब धमाकेदार लिखती हो
दिखने में भी कम हसीन नही दिखती हो
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इतनी सूंदर प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद !आभार ! : )
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आपका भी धन्यवाद।मुझे फॉलो करने के लिए।
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बहुत खूब
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हार्दिक धन्यवाद !
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