संतुलन

वो कुछ पशोपेश में है 
उलझनों में घिरा हुआ  
जीत हुई  या हार हुई  
वो वाकई अपनापन था 
या वो  इस्तेमाल हुआ   
उम्र के आखिरी पड़ाव पे 
ये  कशमकश गहन है कि 
क्या पाया तूने क्या खो दिया ?
हमे ये समझना है की 
पाना खोना है जुड़ा हुआ  
एक चीज़ पायी तो 
एक चीज़ को खो दिया 
तन्हाई चाहिए तो महफ़िल
मिल सकती नहीं 
महफ़िल मिली तो तूने 
तन्हाइयों को खो दिया 
असली जीवन तो बस संतुलन में है 
ये सोचना निरर्थक है 
कुछ पा लिया कुछ खो दिया  
इस जहाँ से जाना तो खाली हाथ है 
जीवन जी पाया वही 
जिसने संतुलन बना लिया 
जीवन राह में जो भी मिला 
पूरे मन से उसे  अपना लिया 
     ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

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