हर शख्स है कुछ अलग हर शख्स यहाँ ख़ास है फिर एक दूसरे से जलन है क्यों? दिल तेरा क्यों उदास है ? कोई किसी के जैसा ना बना है, ना बनेगा! ये सिर्फ स्वार्थ या महत्वाकांक्षा की ही झूठी आस है किसी को कुछ और है पसंद किसी को कुछ और रास है कोई है प्रकृति का प्रेमी कोई ऐश्वर्य का दास है किसी के पास कोई गुण किसी के कोई हुनर पास है कोई करे साकार पूजा किसी को निराकार पे विश्वास है सृष्टि जो प्रभु रचित हर चीज़ इसमें ख़ास है जो लगता बुरा तुम्हें वो है अगर मौजूद ! कोई तो ज़रूरत है उसकी कोई तो राज़ है तू तो बस सबको प्रेमसे अपनाना सीख ले ! निर्णय देने,परखने का हक़ नहीं हमारे पास है
very nice
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