मैं भी एक विद्यार्थी हूँ, दुनिया के बड़े से मेले में जो कुछ ऐसा जानना सीखना चाहता है ,जो जीवन
को दिन प्रतिदिन बेहतर कर सके। ये छोटी छोटी बातें आपसे साझा करने का मन है ,आशा है आप को अच्छी लगेगी ......
हमारा दिमाग है एक रिसीवर(ग्राहक ) !जो सूचनाएं और ज्ञान ग्रहण करता है ब्रह्माण्ड (यूनिवर्स) से!
बड़े बड़े वैज्ञानिक, दार्शनिक ,लेखक, कलाकार, रचनाकार जो भी आज तक हुए हैं
उन्होंने बड़े बड़े काम अपने मस्तिष्क की बदली हुई चेतना की स्थिति में किये हैं
ब्रह्माण्ड जो ऊर्जा का बड़ा स्त्रोत है उससे किसी ना किसी तरह जुड़ कर किये हैं
बड़े और असंभव विचार या काम या आविष्कार हमेशा हुए हैं ब्रह्माण्ड की प्रेरणा से !
आओ कुछ तरीके जिनसे हम ब्रह्माण्ड से जुड़ सकते हैं और अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं
और ब्रह्माण्ड की असीमित प्रचुरता को पा सकते हैं उन पर बात करें !
सारे अनुभव अगर पदार्थ हैं तो इनका सोर्स ऊर्जा है। ये ऊर्जा ही पदार्थ को जन्म देती है।
अगर ऊर्जा सीमित है तो पदार्थ भी सीमित ही होंगे।
असीमित ऊर्जा असीमित संभावनाओं को जन्म दे सकती है
अब प्रश्न ये की जुड़ें कैसे इस असीमित संभावनाओं वाले ब्रह्माण्ड से ?
मोटे तौर पर पांच तरीकों के बारे में बात करुँगी जो हमारी मदद कर सकते हैं !
१ ध्यान की चमत्कारी दुनिया -
ध्यान दिमाग की वो स्थिति है जब वो विचार शून्य हो और ब्रह्माण्ड से बराबर जुड़ जाए।
ये निरंतर अभ्यास से पूरी तरह संभव है। आजकल हम सभी तरह तरह के तनाव से ग्रस्त हैं
और ज्यादातर नकारात्मक सोचते हैं। नकारात्मक विचार नकारात्मक अनुभव को जन्म देते है।
ध्यान मस्तिष्क को कुछ समय शांत कर विचारों को धीमा करता है और हम अपने ऊर्जा स्त्रोत से जुड़कर सकारात्मक
दृष्टिकोण से चीज़ों को देखते हैं। फिर कहूँगी अभ्यास ज़रूरी है।
"करत करत अभ्यास से जड़मति होत सुजान ,रस्सी आवत जात से सिल पर पडत निसान "
२ प्रार्थना -
प्रार्थना से हम अपने अहम् को काबू में रखते हैं क्यूंकि
तब हम परमपिता परमात्मा को पूर्ण रूप से समर्पित रहते हैं
परन्तु अगर हम सभी के लिए प्रार्थना करते हैं तो हमारा अहम्
जल्दी कमज़ोर होता है। हम परमात्मा से, ब्रह्माण्ड से जुड़ कर सबकी भलाई के लिए काम करते है।
सुबह उठते ही कुछ मिनट और रात को सोते समय कुछ मिनट ध्यान और प्रार्थना को देना अति उत्तम है
३ दिल दिमाग का आपसी तालमेल -
दिल और दिमाग दोनों से तरंगें निकलती हैं।ये कहा जाता है की हमारे दिमाग से विद्युत तरंगे निकलती हैं और दिल से चुंबकीय जो हमारे चारों और विद्युतचुंबकीय ऊर्जा तरंगों का एक घेरा बनाता है जो ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तरंगों से मिल कर कईं फायदे देता है।
अगर ये दोनों मिल कर काम करे तो ये फायदे होते हैं जैसे की - मन शांत , तनाव गायब ,हीलिंग शुरू चमत्कारी अनुभव आदि
४ वर्तमान में रहना
हमारा मन या तो भविष्य के बारे में सोचता है या भूत के बारे में। ये सच्चाई है की हम भूत को बदल नहीं सकते और भविष्य की बेहतरी के लिए वर्तमान का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना होगा। वर्तमान में रहना हमे खुश और ज़िंदादिल बनाता है यानिकि हमने ज़िन्दगी को सभी अच्छे और बुरे अनुभव के साथ स्वीकार किया।
५ प्रकृति के साथ निकटता
जो लोग प्रकृति के निकट रहते हैं जैसे पेड़, पौधे ,घास, पर्वत ,पहाड़ ,समुद्र उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
पृथ्वी न्यूट्रल का काम करती है और अतिरिक्त चार्ज को सोख लेती है। बड़ी बड़ी बीमारियां हम प्रकृति प्रेम से काबू कर सकते हैं। रोज़ सुबह शाम घास पर चलना ,पार्क में घूमना ,किसी पेड़ से लिपटना चमत्कार करता है।
आशा है आप सभी इस जानकारी का उपयोग करेंगे और अपने ऊर्जास्रोत ब्रह्माण्ड से जुड़े रहेंगे। मेरे इस लेख के लिए मैं अपने जीवन में ज्ञानदेने वाले सभी लोगों की आभारी हूँ जिनसे मुझे प्रेरणा मिली।
क्रमशः
Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
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बहुत सुन्दर सन्देश..
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हौंसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ! 🙂
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असीमित ब्रह्मांड को जानने के लिए ये कदम निश्चित ही काफी सहायक हैं। 🙏
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thank you laksh ! : )
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🌷🙏
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thanks Tara ji !
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Welcome ji.☺️
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