प्यार की चाहत में प्यार के खेल में मैंने हर इंसान को तरसते देखा कोई धोखा खा रहा है कोई धोखा दे रहा है चाहत सबकी सच्चा प्यार पर दे कोई नहीं रहा है ! खोज सबकी एक है जो मिला मिल जाए उससे बेहतर ! सामने वाला ढूंढ़ले बेहतर ! तो रो रहा है ! किसी के होठों पे हंसी किसी की आँखें नम हैं किसी को बदले में प्यार ना मिले तो नफरतों का बाजार गर्म है ! ये सब तेरे अहम् से हो रहा है ! अपने गिरेबान में कभी तो झाँक ! ये खेल तो सदियों से हो रहा है दूसरे के जूते में अपना पैर डाल के देख जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है ?