हमारे जीवन में अक्सर आता है ऐसा पड़ाव जब नहीं रहता किसी से हमारा ज़्यादा जुड़ाव थकने लगता है तन मन, सब की अपेक्षाओं से ! प्यार नहीं ! तो ख़त्म हो जाता है सेवाभाव मन करने लगे पल पल जीवन का विश्लेषण खलने लगता है जीवन में हर छोटा बड़ा अभाव बहुत मुश्किल है ऐसे वक़्त पर किसी से भी ये कहना हटो चलो बहुत हुआ! हमारा मिलता नहीं स्वभाव सहा बहुत,पर अब नहीं होगा अपना निभाव बहुत ज़रूरी है जीवन में आपस का सही रखरखाव ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वाह, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
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hardik dhanyavaad ! : )
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ji tahedil se shukriya !
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Sooo lovely 💕💕
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thankyou so much ! 🙂
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