"जो ना करे अकुशल कर्म से द्वेष जो ना हो कुशल कर्म में आसक्त वो है सत्वगुणी संशय रहित बुद्धिमान और सच्चा त्यागी " किसी भी मनुष्य का पूरी तरह से सब कर्मों का त्याग नहीं संभव इसलिए जो कर्मफल का करे त्याग! वही त्यागी कर्मफल का त्याग ना करने पर अच्छा फल या बुरा फल या थोड़ा अच्छा थोड़ा बुरा कोई ना कोई फल ज़रूर मिलता है कर्मफल का त्याग करने पर किसी भी काल में कर्मों का फल नहीं है