आसमान में उड़ना चाहता है तू ! परिंदों की तरह,तो उड़ ! घरौंदा तो वो भी बनाते है ! उड़ ले चाहे जितना गगन में सुस्ताने ज़मीन पर ही आते हैं हम ज़मीन से जुड़ कर ही आसमान की ऊंचाई नाप पाते हैं जड़ें सलामत हों तो पौधे फिर पनप जाते हैं ......
आसमान में उड़ना चाहता है तू ! परिंदों की तरह,तो उड़ ! घरौंदा तो वो भी बनाते है ! उड़ ले चाहे जितना गगन में सुस्ताने ज़मीन पर ही आते हैं हम ज़मीन से जुड़ कर ही आसमान की ऊंचाई नाप पाते हैं जड़ें सलामत हों तो पौधे फिर पनप जाते हैं ......