प्यार किसी से किया न कम, फिर भी सबको पड़ता कम ! चारों तरफ अपनों की भीड़ , समझा मगर नहीं कोई पीड़ ! हम तो तनहा रहें अकेले , मेले में घुटता है दम !
प्यार किसी से किया न कम, फिर भी सबको पड़ता कम ! चारों तरफ अपनों की भीड़ , समझा मगर नहीं कोई पीड़ ! हम तो तनहा रहें अकेले , मेले में घुटता है दम !
वाह, बहुत सुन्दर अभिव्यति |
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आपकी सराहना का ह्रदय से धन्यवाद !
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