तो क्या हो

अपने आगे सिले हुए होंठ 
और झुका हुआ सर 
किसको अच्छा नहीं लगता 
अगर वो झुके सर वाले तुम हो तो ! 
                      तो क्या हो ?
किसी धर्म से नफरत करने वाला 
अगले जन्म में उसी धर्म में पैदा हो तो 
स्त्री को पैर की जूती समझनेवाला 
किसी दिन सुबह खुद को स्त्री पाए तो !
                      तो क्या हो ?
प्रभु कृपा से खातेपीते हो ,पैसेवाले हो 
सपने में भी गरीब,मज़दूर, बेबस हो जाओ तो 
सब्जबाग दिखा कर दूसरों को लूटते हो 
इसीतरह कोई तुम्हें लूट जाए तो !
                      तो क्या हो ?
 प्रकृति के साथ खेलते हो रात दिन 
प्रकृति तुम्हारे साथ खेले तो 
स्वाभिमान और अहंकार में 
अंतर एक महीन रेखा का ,
गलती से भी वो अंतर मिट जाए तो !
                      तो क्या हो ?

12 thoughts on “तो क्या हो

      1. Really a good attempt. इन पंक्तियों में जीवन की सच्चाई झलकती है।

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